STORYMIRROR

Dr J P Baghel

Drama

2  

Dr J P Baghel

Drama

अनजान सफ़र पर चले चलो

अनजान सफ़र पर चले चलो

1 min
211

अनजान डगर, अनजान सफ़र,

चलते रहना है जीवन भर।


है मंत्र सृष्टि का चरैवेति,

जीवित चर है निर्जीव अचर।


अनजान सफर, पर चले चलो,

छोड़ो मन का डर चले चलो।


कुछ नया मिलेगा आखिर में,

बस यही मानकर चले चलो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama