अमूल्य प्रेम
अमूल्य प्रेम
पवित्र प्रेम है पतिपत्नी प्रेम
हो राधाकृष्ण प्रेम
प्रेम भक्ति श्रद्धा अमूल्य है प्रेम
इश्वरीय है यह प्रेम।१।
अज्ञानी करता वासना प्रेम
दुराचारी जैसा प्रेम,
पवित्र प्रेम का वादा हीं करता
कलंकित करता प्रेम।२।
वादा करता लडकियों से अनेक
अपवित्र होता प्रेम,
एक नहीं पर अनेकों से वादा
राक्षसों जैसा ही प्रेम।३।
महापापी दृष्ट करता है प्रेम
स्थान नहीं जग में,
संकट चंगुल में फंसता जाता
मृत्यु होती जग में।४।
प्रदूषण होता पवित्र समाज
बहिष्कार हो ऐसा जन,
साथ नहीं रहो ऐसे हीं जनों का
धिक्कार ऐसे जन।५।
समाज करता कलंकित
मृत्यु सुनिश्चित है,
अज्ञानी पापी है राक्षक प्रवृत्ति
नर्क सुनिश्चित है।६।
समाज के शत्रु ऐसे भ्रष्ट जन
दिल से निकालना है,
ऐसे दृष्ट जनों समाज में नहीं
मृत्यु लोक स्थान है।७।
पवित्र प्रेम है पतिपत्नी प्रेम
हो राधाकृष्ण प्रेम,
प्रेम भक्ति श्रद्धा अमूल्य प्रेम है
इश्वरीय है यह प्रेम।