जननी तु जन्मभूमि
जननी तु जन्मभूमि
चीर बंदनीय नित्य पूजनीय
है यह भारत मेरा
बराबरी में नहीं है कोई कहाँ
है हिन्दुस्तान प्यारा !!
विन्ध्य हिमगिरि जिसके मुकुट
धोता सागर चरण,
नदी निर्झरिणी करती गुंजन
शोभित है वृन्दावन !!
शीतलता लिये बहती पवन
सुगंधित पुष्प संग
सुनाई पडती पक्षियों के गीत
अनुपम सृष्टि रंग !!
गाती है तिरंगा शान्ति के संगीत
नहीं भेदभाव कहाँ,
सत्य शान्ति मैत्री वचन प्रेम से
शासन राष्ट्र के यहां !!
है हिन्दुस्तान जीवन से प्यारी
उषा के आलोक धारा
गोधूलि लगन सुचित्र वरण
रात में रोशनी झरा !!
देश की संस्कृति सनातन कीर्ति
धर्म अर्थ मोक्ष प्राप्ति
ईश्वर कामना प्रभु की भावना
देती है प्राण में प्रीति !!
देती है जन्म मां, है जन्मभूमि
स्वर्ग से अधिक उँचा,
निर्मित जीवन जल पवन से
कर्तव्य में सदा सच्चा !!