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Ajit Kumar Raut

Abstract

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Ajit Kumar Raut

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कर्म हीं ईश्वर

कर्म हीं ईश्वर

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मरुभूमि नहीं जीवन है मेरा

निराश काहे को होगें,

उर्वरक भूमि है फसल के लिए

खेती करते रहेंगे !!


कर्म है ईश्वर कर्म ही करेगें

अन्नदाता हीं बनेगें

राष्ट्र निर्माण में अन्न को देकर

 सशक्त राष्ट्र देखेंगे !!


हैं किसान हम किसानी है धर्म

 रीति बैज्ञानिक खेती,

होगेंअवश्यआत्मनिर्भर

 रखेंगे खेती में प्रीति !!


कर्म भरमार ईश्वर सृष्टि में

 कर्म मनुष्य जीवन,

कर्म बिना यह बेकार जीवन 

 दीन हीन वह जन !!


कर्म करो भाई खेती करो प्यारे

लक्ष्मी पूर्ण हो भारत,

कर्तव्य तुम्हारा अभाव मिटाना

 खुश में रखो जगत !!


अमृत काल है नूतन भारत

विकसित सब क्षेत्र,

समभाव मन्त्र शासन पद्धति

राम नाम राष्ट्र मन्त्र !!


जय जवान है जय किसान है

राष्ट्र के भाग्य विधाता

खेती करो भाई नये प्रणाली से

 है तू राष्ट्र अन्नदाता !!


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