STORYMIRROR

Ajit Kumar Raut

Abstract

4  

Ajit Kumar Raut

Abstract

प्रेम

प्रेम

1 min
13


प्रेम है महान अटूट बंधन 

महा मिलन के ऐश्वर्या भण्डार

निबिड़ बन्धुत्व पराकाष्ठा

प्रेम है संपर्क

बनाये रखने का, परिचर्या मात्र !!


हृदय के आकर्षण, मन के मिलन

आचार, व्यवहार, विवेक

है परिचय महान व्यक्तित्व

अन्तर अभ्यान्तर से दिखाये आलोक शिखा

धर्म, अर्थ, काम मोक्ष

ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य धारा !!


प्रेम एक शान्त स्निग्ध

शीतल प्रवहमान अमृत धारा

खो जाती है

अपना लेती है

भाई, बन्धु, कुटुम्ब आदि आदि !!


भुलाकर हिंसा अहंकार

स्वार्थ को त्याग कर

उपभोग कर लेती

इस दुनिया में

सब हैं अपना !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract