प्रेम
प्रेम
प्रेम है महान अटूट बंधन
महा मिलन के ऐश्वर्या भण्डार
निबिड़ बन्धुत्व पराकाष्ठा
प्रेम है संपर्क
बनाये रखने का, परिचर्या मात्र !!
हृदय के आकर्षण, मन के मिलन
आचार, व्यवहार, विवेक
है परिचय महान व्यक्तित्व
अन्तर अभ्यान्तर से दिखाये आलोक शिखा
धर्म, अर्थ, काम मोक्ष
ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य धारा !!
प्रेम एक शान्त स्निग्ध
शीतल प्रवहमान अमृत धारा
खो जाती है
अपना लेती है
भाई, बन्धु, कुटुम्ब आदि आदि !!
भुलाकर हिंसा अहंकार
स्वार्थ को त्याग कर
उपभोग कर लेती
इस दुनिया में
सब हैं अपना !!