सम्पर्क
सम्पर्क
एक शब्द नहीं है,यह सम्पर्क
है ममता सुत्र बंधन
बांध रखता है एक डोर में जो
सुखमय है जीवन !!
मन हृदय प्रेम के डोर से
वे सम्पर्क जुडता है
जब भी छूता है हिंसा अहंकार
सम्पर्क दूर भागता है !!
विश्वास की डोर ही टुट जाती है
खो जाता है प्रेम प्रीति
होता है मनुष्य कठोर निर्मम
सम्पर्क का होता इति !!
भाव में जहर करती है ध्वंस
कारण होती विनाश
मित्रता होती सम्पर्क सुत्र में
मिलती उन्नति आशा !!
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सम्पर्क में है चिर स्रौतह्विनी
निर्मल जल प्रवाह
चिर स्त्रोता नदी, नहीं भेदभाव
है नहीं वाछ विचार !!
शान्ति मैत्री प्रीति स्थिति समभाव
जीवन विजय गीत
उन्नति का रास्ता सम्पर्क बल से
है निर्मित प्रेम प्रीति !!
दुःख कष्ट पीडा लोभ मोह माया
सम्पर्क से होती दूर
कुकर्म भागती सुकर्म आती है
होती जीवन मधुर !!
मानव जीवन में है महामंत्र
बनाती उसे आदर्श
विचित्र संसार में जीने के लिए
सम्पर्क से मिले हर्ष !!