Ajit Kumar Raut

Abstract

4  

Ajit Kumar Raut

Abstract

राम तु है प्यारे, न्यारे

राम तु है प्यारे, न्यारे

1 min
44



दिव्य ज्योति पडे सूर्य के

         सूर्य वंशी हो राम,

शोभित सूर्य के तिलक

         मिट गये हैं गम !!

माथे पर सूर्य तिलक

         अनुपम है दृश्य,

धन्य हुआ सारे संसा

        दिये प्रभु आशीष !!

देश में सब शुभ होगें

         रामराज्य होगा,

आस्था राष्ट्र भक्ति प्रीति         

महामंत्र गूंजेगा !!

त्रेतायुग जैसे  घटना

          दृष्टिगोचर हुआ,

दीर्घ दिनों के सपने थे

     प्रभु, भक्तों को दिया !!




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract