अमिट प्रणय
अमिट प्रणय
तुझे शब्दों के ढाँचे में ढालू,
तो एक प्रेम काव्य बन जाए,
तुझे रेखाओं की सिरे में नापू,
तो एक स्नेह चित्र बन जाए,
तुझे ध्वनि के सागर में डुबोऊ,
तो एक लास्य संगीत बन जाए,
तुझे घुँगरू की झनकार में पिरो लूँ,
तो एक अनुरागी नृत्य बन जाए,
तुझे खुद के सोला श्रृंगार में सजा लूँ,
तो एक भव्य स्वरुप बन जाए,
मगर,
जब तुझे खुद में ही पा लूँ,
तो एक अद्भुत अस्तित्व बन जाए,
और मेरा,
तुझसे अटूट नाता बन जाए...