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Mrs. Mangla Borkar

Tragedy Children

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Mrs. Mangla Borkar

Tragedy Children

अलादीन का चिराग

अलादीन का चिराग

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अलादीन का चिराग, माँ

अगर मुझे मिल जाता

बैठ कंधे पर जिन्न के

सारी दुनिया घूम के आता


अलमस्त पक्षी सा कभी

आसमान में उड़ जाता

तारों से बातें करता कभी

चंदा से हाथ मिलाता


लुका छिपी खेल-खेल में

बादलों में छिप जाता

कितना भी ढूँढती मुझे

मैं हाथ कभी न आता


चंदा मामा के घर जाता

बूढ़ी नानी से मिल आता

कितना मजा आता ,माँ

जो चाहूँ वो मिल जाता


“हुकुम मेरे आका”, कह वो

पलक झपकते ही आ जाता

सारी दुनिया की खुशियों से

झोली मेरी भर जाता


अलादीन का चिराग, माँ

अगर मुझे मिल जाता

बैठ कंधे पर जिन्न के

सारी दुनिया घूम के आता

              


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