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Dr Reshma Bansode

Tragedy Others

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Dr Reshma Bansode

Tragedy Others

अक्स

अक्स

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आईने में एक चेहरा था

छूकर उसको देखा

कोई नकाब चेहरे पर लगाएं था


'हटाओ उसे देखना चाहता हूँ तेरी सच्चाई को' मैंने कहा

हँसने लगा ' बरदाशत करने की हिम्मत रखते हो ?'


'पता नहीं, काफी अरसे से खुद को ढांक रखा है '

'रहने दो फिर, झूठा ही सही पर तुम्हारा ही अक्स हूँ, 

जिंदा होने की तस्सलीके लिए काफी हूँ '


'आखिर कब तक झूठ के सहारे रहूँ ?'

'पता नहीं, शायद जब तक देह में जान फंसी है तब तक '



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