हटाओ उसे देखना चाहता हूँ तेरी सच्चाई को हटाओ उसे देखना चाहता हूँ तेरी सच्चाई को
रखो ज़रा थोड़ा और हौसला, खुशियों की शुरुआत होने को है। रखो ज़रा थोड़ा और हौसला, खुशियों की शुरुआत होने को है।
फिर कहां सुन पाऊंगी मैं आवाज अपने मन की और न ही कुछ कर पाऊंगी फिर कहां सुन पाऊंगी मैं आवाज अपने मन की और न ही कुछ कर पाऊंगी
चांदनी रात थी अरसे बाद की मुलाकात थी। चांदनी रात थी अरसे बाद की मुलाकात थी।
मुट्ठी में सिमटी है जो तकदीरें हमारी अरसे से, हाथों की लकीरों को तेरे नाम किये जा रही हूँ। मुट्ठी में सिमटी है जो तकदीरें हमारी अरसे से, हाथों की लकीरों को तेरे नाम किये ज...