अकेलापन !
अकेलापन !
खयाल आया तो क्या खूब आया,
बहुत रोने का दिल किया ,
पर एक बूंद आंसू भी ना आया,
हालात इस कदर खराब हुये,
अफसोस तो ये है की,
कोई देखने भी नहीं आया,
जीना तो तनहा ही है, बस
उम्मीद लगाने वाला पागल बना,
एक बार फिर से इस लंबी सी जिंदगी में
अकेलेपन का सन्नाटा छाया!
