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अमित प्रेमशंकर

Drama

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अमित प्रेमशंकर

Drama

ऐसा दिन भी एक दिन आएगा

ऐसा दिन भी एक दिन आएगा

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कैसे कोई अपनों से

येअपने दूर हो जाते हैं।

बूढ़े बापू माई के 

अरमां आधे रह जाते हैं।


रह जाते हैं आंख में आंसू 

तकलीफ कितने सहते थे।

खुद भी भूखा रहकर प्यारे 

पेट तुम्हारा भरते थे।


खुश देख तेरे चेहरे को 

खुशी के आंसू बहते थे।

खुश रखेगा उनको एक दिन 

यही आस वो रखते थे।


कहते थे मेरा नन्हा मुन्ना 

एक दिन नाम कमाएगा।

 क्या उनको मालूम कि ऐसा 

दिन भी एक दिन आएगा।


 क्या उनको मालूम कि ऐसा 

दिन भी एक दिन आएगा। 

मझधार में छोड़ के उनको 

पार निकल तू जाएगा।


ऐसे दिन वो देख बेचारे 

जीते जी मर जाते हैं।

बूढ़े बापू माई के 

अरमां आधे रह जाते हैं।


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