ऐ दुनिया वालों
ऐ दुनिया वालों
....... मैं जानती हूं......
मैं जानती हूं की मैं कौन हूं
क्या हूं
पता है मुझे ,मेरी वास्तविकता.....
मैं ,कोई तस्वीर या
श्रृंगार का सामान नही
ना ही ,यादों को संजोकर
ना याद रखनेवाली भुलक्कड़ लड़की हूं
और ना ही कोई भटकती हुई आत्मा हूं....
मैं , मतलब की पुड़िया नही
कांच की चूड़ियां नही,बल्कि
बादलों को उड़ाती हुई हवा सी हूं
चट्टानों से टकराती हुई लहर सी हूं
समंदर से मिलती हुई नदी सी हूं.....
बेशक,
मैं ,तीखी मिर्ची नही
मिश्री की डली भी नही
खट्टी मीठी इमली सी हूं
पत्थर सी कठोर भी हूं और
कली सी कोमल भी हूं
मुझे पता है ,में कौन हूं....
दुनियावालों
मुझे कमजोर समझने की भूल न करना
बेबस या लाचार न समझना
अबला समझने से पहले
चट्टान से टकराने की सोच लेना...
मैं जानती हूं
की मैं क्या हूं,कौन हूं
मेरी वास्तविकता क्या है
और ...मुझे कैसे रहना है....
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नौशाबा सूरिया,महाराष्ट्र