अहसास : वात्सल्य का
अहसास : वात्सल्य का
जब भी आती हूँ यहां मेरे आने से पहले बरसात होती है
माँ का घर है ये यहां आने की अलग ही बात होती है,
भतीजे भतीजियों से मिलने का पूरे साल इंतज़ार होता है
बुआ को भी अपने बच्चों सा इनसे प्यार होता है,
बुआ और बच्चों की मस्ती भरी हर बात होती है
जब भी आती हूँ यहां मेरे आने से पहले बरसात होती है
बन जाते है आने के पहले ही हर तरह के नाश्ते
भाभी की रसोई मे चिवड़े, मठरी, पूड़ियों की भरमार होती है
भानजे भांजियों के लिए ढेर सारी चीज़ों की शुरुआत होती है
जब भी आती हूँ यहां मेरे आने से पहले बरसात होती है
