एक रहस्यमई जगह
एक रहस्यमई जगह
आओ आओ सखियों तुमको मेरी कहानी सुनाऊं।
एक बार की बात बताऊं मन बहुत खोजी था।
रहस्य रोमांच ढूंढने का होता था।
इसी के चलते जब कोई खंडहर मिलते तो लगता इसमें कोई रहस्य होगा।
मन देखने को मचल उठता ।
मगर साथ वाले कभी जाने ना देते ,कहीं कुछ अनहोनी हो गई तो क्या होगा।
आज सोचते हैं तो बात सही थी।
मगर उस समय छोटे थे कुछ नया करने की पड़ी थी।
ऐसे ही एक दिन लुक्का छुपी खेलते खेलते पहुंच गए खंडहर में छिपने।
खंडहर था बहुत पुराना।
शायद कोई मंदिर रहा होगा आठवीं नौवीं सदी का।
लगता था कोई माता का मंदिर है। हमने तो बिना सोचे समझे अंदर अपना छुपने का स्थान ढूंढा।
छुप गए सोचा कोई ढूंढ ना पाएगा।
मगर हाय री किस्मत पता नहीं कहां से एक बाबा आया बड़ी-बड़ी जटा वाला बड़ी-बड़ी दाढ़ी वाला डरावना सा जिसको देखकर मन इतना घबराया बोली हमारी बंद हुई।
दौड़ के हम दरवाजे से बाहर भागे। इतनी जोर से भागे ।
जिंदगी में कभी ना भागे जैसे गधे के सिर से सिंग।
देखा बाहर सब हम को ढूंढ रहे थे ।
जाकर भाई के लिपट गए ।जोर जोर से रोने लगे।
वह बोले क्या हुआ कहां चली गई थी। हम ढूंढ ढूंढ कर हारे।
तब हमने अपनी कथनी को है सुनाया।
बहुत डांट है खाया।
मगर भाई ने मां बापू को ना बताया नहीं तो मार पक्की थी यारों ।
मगर उस दिन से एक सबक है हमने पाया।
कभी भी अनजान जगह पर अकेले नहीं हम जाएंगे ।
जब तक हम तसल्ली ना करले
उस जगह के आसपास भी हम ना जाएंगे
जो हाल हुआ उसको हम भूल ना पाएंगे।
रहस्य रोमांच के चक्कर में अपनी जान ना गवाएंगे।
यह हमारी खंडहर में खोने की कहानी शायद वहां कोई सुरंग रही होगी। क्योंकि जयपुर में बहुत सुरंगे हैं।
कोई कहां से कोई कहां से।
हमने सुना था स्कूल में भी सुरंगे थी। जिन पर ताला लगा हुआ था।
जो कि हमको रोज आकर्षित करती थी ।
मगर फिर हिम्मत ना होती थी
कि कभी ताला तोड़कर अंदर जाएं और परेशानी में फंस जाए।
है यह कहानी बिल्कुल सच्ची
जो दे गई हमको सीख एक अच्छी
बिना विचारे ना जाऊं कहीं ।
नहीं तो खतरे में पड़ जाऊं वही।