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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational Children

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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational Children

मोल

मोल

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एक बार एक व्यक्ति ने,

पूछा श्री गुरु नानक देव जी से,

की बतलाओ जीवन का मोल क्या है।


इस पर गुरु नानक देव जी ने थोड़ी देर के लिए,

अपनी आँख मुंद ली,

और जब आंख खोली तो,

एक नायाब लाल रंग का रूबी अपने हाथ में प्रकट किया

और दिया उस व्यक्ति को ये मानिक

और बोले बाबा नानक कि है मानस,

जाओ और इसका मोल पता कर के आना।

पर बेचना नहीं इसको।


पहले वो व्यक्ति गया एक संतरे बेचने वाले के पास,

और दिखलाया उसे ये लाल पत्थर।

संतरे वाले ने बोला कि तेरा पत्थर अच्छा चमक रहा है,

ले जा एक दर्जन संतरे और इसे मुझे दे जा।

व्यक्ति बोला कि इसे बेचना नहीं है और आगे चला गया।


फिर एक सब्जी वाले से मिला।

उसने उसे अपनी पूरी सब्जी देने कि अभिलाषा वक्त कि,

और बोला कि ये अनमोल रूबी मुझे दे जा,

पर गुरु का आदेश नहीं था, वो व्यक्ति आगे चला गया।


फिर एक सोनार से मिला।

उस सोनार कि आँखों कि पुतलियाँ खड़ी हो गयी,

जब उसने उस नायब मानिक को देखा।

बोला कि पचास लाख अभी देता हूँ तू इसे मुझे दे दे।

व्यक्ति बोला कि इसे बेचना नहीं है।

एक करोड़, दो करोड़ जितनी चाहे मैं देने के लिए तैयार हूँ

पर इसे मुझे दे दे, सोनार जिद पे अड़ गया।

पर गुरु का आदेश था कि रूबी कि कीमत पता करनी है,

बेचना नहीं है।

वो व्यक्ति फिर आगे गया।


फिर अंत मैं एक हीरो के व्यापारी के पास गया।

उस जौहरी ने पहले एक चादर बिछाई और फिर,

उस रूबी को बीच में रख कर उसकी परिक्रमा कि।

फिर पूछा कि कहाँ से लायी ये बेशकीमती रूबी?


व्यक्ति बोला कि वाद विवाद का समय नहीं मेरे पास,

इसका मोल बताओ!

जौहरी बोला कि ये अनमोल रूबी कि कीमत क्या लगाऊं मैं!

सारी कायनात को बेच के भी इस रूबी कि,

कीमत चुकाई नहीं जा सकती, ये बेशकीमती है।


भागा वो व्यक्ति गुरु नानक देव जी के पास।

बतलाया सारी बातें।

गुरु बोले कि जीवन का मोल भी,

इस रूबी कि तरह है।

चाहो तो इसे तुम संतरे के भाव में बेच दो,

या सब्ज़ी के मोल, या सोने के या फिर हीरों के मोल।

या बेशकीमती समझ लो, ये तुम्हारे ऊपर निर्भर करता है।


उस व्यक्ति को उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया,

उसने गुरु नानक देव जी को प्रणाम किया,

और उनकी दिखाई रास्तों, उनकी कही बातों

पर अमल करके अपना जीवन खुशी खुशी व्यतीत करने लगा।



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