STORYMIRROR

Kuhu jyoti Jain

Romance

2  

Kuhu jyoti Jain

Romance

अहसास: मुलाकात

अहसास: मुलाकात

1 min
548



एक अरसे के बाद

उस शाम हम साथ थे

लंबा था रास्ता हाथों मे हाथ थे

थे कुछ नग़मे नए पुराने

बातें थी कुछ

कुछ थे अनकहे फ़साने

आसमा सिंदूरी से

नीला हो रहा था

चाँद जाने क्यूँ

आज पीला हो रहा था

वो शाम थी कुछ ऐसी

जो शायद ठहर गयी है

जो छुवन थी वो हाथों में रह गयी है।

बातें भी इतनी थी

कि कहनी रह गयी है

ये क्या प्यास है जो

मिलने से और बढ़ जाती है

कैसी है कशिश जो

कही नहीं जाती है

शायद यही प्यार है

जो पूरा नहीं होता

पर संपूर्ण होता है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance