अहसास बाकी है
अहसास बाकी है
बारिश की बूंदों सा है प्यार तुम्हारा
तुम तै चले गए, पर एहसास बाकी है।
देखा नहीं एक बार भी पलट कर तुमने
पूछ रही जो आंँखें सवाल, देना ज़वाब बाकी है।
कैसे निकाल फेकूँ उन लम्हों को दिल से
जिनका मेरी पलकों में अब भी ख़्वाब बाकी है।
वक़्त ही कहांँ मिला एक दूजे को समझने का
कह न सका जो दिल कभी वो जज़्बात बाकी है।
तन्हा-तन्हा सफ़र था मेरा, तुमने किया वादा साथ चलने का
उस अधूरे सफ़र की, अधूरी कहानी की, कुछ बात बाकी है।
बुझी हुई सी ज़िंदगी मेरी, सूर ताल उसमें तुमने ही था छेड़ा,
कभी गुनगुनाया करते थे जो साथ, वो नज़्म खास बाकी है।
बंजर हो चुकी दिल की ज़मीं, मोहब्बत के खिलेंगे पुष्प नहीं
जानता है ये दिल, फिर भी न जाने क्यों एक आस बाकी है।
आस है तुम्हारे लौट आने की, बिखरे ख़्वाबों को सजाने की,
यकीं है अपने मोहब्बत पर बस तुम्हारा आना पास बाकी है।
होगा ये एहसास तुम्हें ज़रूर, कितनी सच्ची है मोहब्बत मेरी,
चुन लिया तुम्हें हमसफ़र अपना, बस थामना हाथ बाकी है।
इत्तेफ़ाक तो नहीं था मिलना हमारा,कुछ तो मर्ज़ी उसकी थी
खुदा से मांगा है तुम्हें ही, बस पूरी होना फरियाद बाकी है।