अफ़सोस
अफ़सोस
वो छत भी है
रस्सी भी
अडा़व की लकडी़ भी
धूप में सूखने को
डाली गईं चादरें भी
टोकरी और दाना भी
बस नहीं है तो
मासूम सा वो बचपना
सब्र की वो चुप्पी
बुद्धू चिड़िया
और चालाक गिलहरी।
वो छत भी है
रस्सी भी
अडा़व की लकडी़ भी
धूप में सूखने को
डाली गईं चादरें भी
टोकरी और दाना भी
बस नहीं है तो
मासूम सा वो बचपना
सब्र की वो चुप्पी
बुद्धू चिड़िया
और चालाक गिलहरी।