रंग
रंग
कहते थे कभी सादगी तेरी..
मन मोह लेती है मेरी..…
अब तो हर रंग भर मुझे ही
बदलना चाहते हो....
मानती हूं रंग जीवन का
है एक अहम् हिस्सा...
पर तूमने तो रंग भरने मे
जल्दबाज़ी कुछ ऐसे की ....
सादगी की खूबसूरती को
नज़रंदाज़ कर दिया...
जाने अनजाने हो गए तुम भी
शामिल उनमें जिनसे कभी
शिकायत थी तुम्हें.....
बन गए तुम भी वैसे
जो कभी पसंद न थे तुम्हे....
दुहाई देते थे जिनकी
कुछ कुछ बन गए
तुम भी वैसे ही!
