लो आई होली
लो आई होली
धूम मची बरसाने में
धूम मची बृज बृंदावन में,
श्याम, सखा
सब मिल खेलें रंगों की होली
लठ बरसाती
राधा संग सखियों की टोली;
चंग की थाप पे
सब मिल गाएं, लो आई होली !
रंग अबीर गुलाल उड़े
रंग गए हैं सब नर नारी,
कैसे चीन्हेंगे अब
राधा को, सोच रहे कुंजबिहारी,
असमंजस में घूम रहे
यों, ले हाथों में भरि पिचकारी,
ना पाकर राधा रानी को
सखि, कान्हा का मुख पिचका री !!