Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Juhi Grover

Abstract

4  

Juhi Grover

Abstract

होली के रंग

होली के रंग

1 min
206


#रंगबरसे

रंग बेबस हैं, होली हैरान है,

हर त्यौहार यों ही परेशान है,

भावनाएं बेजान है मानव में,

सन्नाटा भी हो गया वीरान है।


दंग हैं हर ओर पिचकारियाँ,

मौन है गूँजती किलकारियाँ,

ज़िन्दा होते हुए ज़िन्दगी में,

मौत की राह चलीं सवारियाँ।


खुशियों के बढ़ गए दाम हैं,

ज़िन्दगी मौत अब बेदाम हैं,

खत्म हो गईं हैं अब उम्मीदें,

हौंसलों का चक्का जाम है।


फर्श से अर्श पे यों नज़र है,

बेइमानियों का हर सफ़र है,

एहसास मर चुके दिलों में,

बेकद्र हो मिलती जफर है।


खत्म हो गया यों अपनापन,

फैला है दिलों में अकेलापन,

अपना अपना करते स्वार्थ में,

रह गया यों बस बेगानापन।


हर त्यौहार सूना,सूने तन मन,

सूने ही रह गए अब घर आँगन,

केवल रीत निभाने की राह में,

मुखौटे बना लिए यों आवरण।


मुस्कुराहटें खो गईं भीड़ में,

बनावट का समाज हो चला,

मानवता का कुछ बचा नहीं,

बस स्वार्थी पुतला हो चला।


बीते समय के पल याद कर,

उन खुशियों का एहसास कर,

जो खो गई ज़िन्दगी की यादें,

उनको जीने का प्रयास कर।


मिट्टी में रह कर मिट्टी होना है,

जीवन में आकर चले जाना है,

अहंकार से भर के क्या करना,

जब सब ही यही रह जाना है।


ज़ख्मों का हिसाब क्यों रखना,

जीवन से हर दर्द यों भुलाना है,

मन की तरंगों को महसूस कर,

जीवन का हर रंग समेटना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract