अधूरी मोहब्बत
अधूरी मोहब्बत
🌹 अधूरी मोहब्बत : एक गजल 🌹
✍️ श्री हरि
🗓️ 3.12.2025
तेरी यादों की महक यूँ भी सफ़र करती है,
आंखों की सरगोशियां कत्ल ए जिगर करती है।
सितम ये है कि तू दिल से उतरती ही नहीं,
और किस्मत मेरी कोशिश में सिहर करती है।
निगाहें तेरी रुकी थीं कहीं पलकों की ओट में,
उसी क्षण से मेरी रूह इश्क मुसलसर करती है।
तेरी खुशबू का सफर आज तलक बाकी है,
ये हवा छू के तुझे मुझसे ख़बर करती है।
हम मिले भी तो ज़रा-सा, वो भी आधा–अधूरा,
अब तेरी याद मुझे रातभर तरबतर करती है।
किसे बताऊँ कि मोहब्बत ये भले पूरी न हुई,
पर तेरे नाम पे धड़कन भी उमर करती है।
‘श्री हरि’ ये इश्क़ का आलम भी बड़ा नाज़ुक है,
कि अधूरी दास्ताँ दुनिया में गहरा असर करती है।

