पहली मुलाकात
पहली मुलाकात
🌸 पहली मुलाकात 🌸
✍️ श्री हरि
🗓️ 5.12.2025
उस दिन हवा में कुछ अलग-सा सुर था,
सूरज भी जैसे शर्माकर धीमे उतरा था,
और समय…
समय तो मानो तुम्हारे पावन आगमन की
प्रतीक्षा में ही ठिठक गया था।
भीड़ के मेले में जब पहली बार
तुम मेरी दृष्टि-सीमा में उतरी,
हृदय ने अनजाने ही
धड़कनों का नया व्याकरण रच लिया।
नयन मिले—
और क्षण भर में
अनकहे शब्दों का एक पूरा संसार सज गया।
तुम्हारी पलकों की झील में
कुछ स्वप्न काँप रहे थे,
और मेरे मौन में
हजारों प्रश्नों की बारात थी।
होंठ मुस्कान का वस्त्र ओढ़े थे,
पर भीतर
पूरे बसंत ने अंगड़ाई ली थी।
पहली ही दृष्टि में
तुम कोई अपरिचित नहीं लगी,
जैसे किसी पिछले जन्म की
अधूरी कविता
आज अचानक पूर्ण हो गई हो।
तुम्हारी सुगंध ने
मेरे अंतर्मन के सूने उपवन में
कस्तूरी के फूल खिला दिए।
बातें बहुत साधारण थीं—
मौसम, राह, नाम, शहर—
पर स्वर में
एक अदृश्य मधुरता बह रही थी,
जैसे वीणा के तारों पर
अनजाने ही कोई राग उतर आया हो।
तुम्हारी हँसी जब
मेरे कानों के द्वार पर दस्तक देती,
हृदय के मंदिर में
घंटियाँ अपने-आप बज उठतीं।
और मेरी दृष्टि—
तुम्हारे चेहरे के हर भाव में
आगामी जीवन की रेखाएँ खोजती फिरती।
वह पहली मुलाकात
सिर्फ़ दो देहों का साक्षात्कार नहीं थी,
वह तो
दो आत्माओं का
धीरे-धीरे एक-दूसरे में
घुलते जाने का प्रारम्भ थी।
जब विदा का क्षण आया,
तो शब्द रूठ गए,
आँखें बहुत कुछ कह गईं।
तुम मुड़ीं—
मैं ठहर गया…
और तुम्हारी एक झलक
मेरे भीतर
पूरी उम्र के लिए बस गई।
आज भी
जब स्मृतियों की अलमारी खुलती है,
तो सबसे ऊपर
वही पल मुस्कुराता है—
पहली मुलाकात का वह पावन क्षण,
जहाँ प्रेम ने
मेरे हृदय में
पहला दीप जलाया था।

