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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational Others

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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परम शक्ति

परम शक्ति

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🌼 परम शक्ति — एक सात्त्विक वंदना 🌼
✍️ श्री हरि
🗓️ 1.12.2025

हे परम शक्ति,
हे अनादि, अनामय, नित्य प्रकाश!
तेरी ही छाया में जगत की गति,
तेरे ही स्पर्श से चेतन का विकास।

न तू रूप में बँधता,
न ध्वनि में समाता,
न शब्दों की सीमाओं में ठहरता—
तू तो अनुभूति बनकर
भक्त-हृदय में स्वयं प्रकट हो जाता।

जब मन थककर बैठ जाए,
जब प्राणों में कंपन हो,
जब जीवन की दिशा धुँधला जाए—
तू दीपक-सी उजागर होकर
मार्गदर्शन कर देती है।

हे शक्ति!
तेरी कृपा से ही
सूर्य उषा को जन्म देता है,
नदियाँ अपना अमृत बहाती हैं,
श्वासों में नए उत्साह का संचार होता है।

तू ही सरसता है,
तू ही तप है,
तू ही आद्य-स्पंदन—
जिससे यह ब्रह्मांड
क्षण-क्षण नया रूप लेता है।

हे परम अधिष्ठात्री!
हमारे अंतःकरण में
सात्त्विक भावों की श्वेत ज्योति जला देना,
अहंकार का अंधकार हर लेना,
और हमें इतना निर्मल कर देना
कि हम केवल तुझमें ही
अपना वास्तविक स्वरूप पहचान सकें।

नमामि ते,
हे परम शक्ति —
जगत्-जननी, चिदानंद-स्वरूपिणी। 🌼


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