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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Horror Fantasy Thriller

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Horror Fantasy Thriller

जंगल का रोमांचक सफर

जंगल का रोमांचक सफर

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🌲 जंगल का रोमांचक सफ़र 🌲
✍️ श्री हरि 
🗓️ 9.12.2025 

साँझ ढली, जंगल जागा, सन्नाटा गुर्राने लगा,
सूखे पत्तों की सरसराहट में कोई कदम बढ़ाने लगा।
चाँद भी काँपकर बादलों की ओट में जा छिपा,
पेड़ों की छायाओं में कोई साया ठहाके लगाने लगा । 

रास्ता खो सा गया, दिशाएँ भी भटक गईं,
मेरी परछाईं मुझसे आगे निकलकर ठिठक गई।
पीछे से आई किसी की एक ठंडी-सी साँस,
कान के पास फुसफुसाई और सांस अटक गई। 

आँखों में जलते दो अंगारे दूर चमकने लगे 
पास की झाड़ियों में किसी के नाखून खड़कने लगे 
धरती जोर से काँपी, चीखें हवा में गूँज गईं,
मेरी धड़कनें मेरी ही छाती से जंग लड़ गईं।

भागा मैं, पर जंगल भी मेरे साथ दौड़ा,
हर पेड़ ने रास्ता बदल-बदल कर मुझे तोड़ा।
अचानक सामने आई एक उजली-सी देह,
मुस्कराई… पर उसकी आँखों में नहीं था कोई स्नेह।

हँसी उसकी गूँजी, जैसे कफ़न फट गया,
अँधेरा हँस पड़ा, मेरा साहस सिमट गया।
मैं गिर पड़ा, साँसें थीं पर प्राण कहीं और,
सुबह हुई… तो पाया खुद को जंगल के उस ठौर।

पर आज भी रात में जब सन्नाटा बोल उठता है,
वही जंगल का शोर फिर मेरे कानों में डोल उठता है
इतना भयावह ऐसा खतरनाक मंजर ना पहले देखा 
जंगल का वह रोमांचक सफर आंखों में खौल उठता है।। 


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