अधूरी दास्तान
अधूरी दास्तान


मासूम सा प्यार,मासूम सी वो बातें,
धड़कता दिल,करवटों भरी वो रातें,
उसका साइकिल से,मेरा पीछा करना,
उसके ना दिखने पर,मेरा उसे मुड़-मुड़ तकना।
तब ना फोन थे,ना प्यार भरी मुलाकातें,
आँखों ही आँखों में होती,दिल के इज़हार की बातें।
मेरा बेपरवाह हँसनाा,
उसका मुझे टकटकी लगा तकना,
चुपके से उसका,किताब में गुलाब का रख जाना,
डेस्क पर दिल बना,उसमें दोनों का नाम लिख जाना।
अधूरा रह गया वो प्यार,“अधूरी दास्तान",
बाबूजी ने जब किसी और के साथ, कर दिया मेरा कन्यादान।