STORYMIRROR

Kishan Negi

Tragedy

4  

Kishan Negi

Tragedy

अधूरा सफ़र

अधूरा सफ़र

1 min
185


जब तू था 

जिंदगी तब भी कट रही थी 

अब जब तू नहीं है 


जिंदगी तब भी कट रही है 

अगर फ़र्क़ आया है तो सिर्फ़ इतना 

पहले ख़ुद को भूली थी और 

अब तुझको भूल रही हूँ 

कहानी यहीं ख़त्म हो गई होती 


अगर अहसासों की रोशनाई से लिखे 

मेरे कुछ ख़त पास तेरे न होते 

हो अगर मुमकिन, ख़त मेरे लौटा देना 

अधूरे सफ़र का अंजाम 

वहीं पहुँचा, जहाँ इसकी मंज़िल थी 

क्यूंकि बाद उसके 

तू अपनी राह, मैं अपनी राह चल दी 


गलतियाँ तो हम दोनों ने की हैं 

तो गुनहगार भी हम हैं 

मगर सजा पायी इक अनाम रिश्ते ने 

दम तोड़ दिया जिसने, अंकुर फूटने से पहले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy