अधूरा सफ़र
अधूरा सफ़र


जब तू था
जिंदगी तब भी कट रही थी
अब जब तू नहीं है
जिंदगी तब भी कट रही है
अगर फ़र्क़ आया है तो सिर्फ़ इतना
पहले ख़ुद को भूली थी और
अब तुझको भूल रही हूँ
कहानी यहीं ख़त्म हो गई होती
अगर अहसासों की रोशनाई से लिखे
मेरे कुछ ख़त पास तेरे न होते
हो अगर मुमकिन, ख़त मेरे लौटा देना
अधूरे सफ़र का अंजाम
वहीं पहुँचा, जहाँ इसकी मंज़िल थी
क्यूंकि बाद उसके
तू अपनी राह, मैं अपनी राह चल दी
गलतियाँ तो हम दोनों ने की हैं
तो गुनहगार भी हम हैं
मगर सजा पायी इक अनाम रिश्ते ने
दम तोड़ दिया जिसने, अंकुर फूटने से पहले।