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Harish Bhatt

Tragedy

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Harish Bhatt

Tragedy

अधूरा ख्वाब

अधूरा ख्वाब

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पल-पल घटती उम्र

कैसे मिलेगी मंजिल

फासला है मीलों लम्बा

कैलकुलेशन तो हो जाए


लेकिन कमबख्त जिंदगी

भाव देने को तैयार नहीं होती

जिंदगी कहती है चलते रहो

मैं जहां तक चली तो चली


वरना तो अमर है ही आत्मा

इहलोक नहीं तो परलोक सही

इस जन्म नहीं, तो अगले जन्म

आत्मा ख्वाब नहीं जो टूट जाए


जिंदगी आत्मा नहीं जो अमर हो

घटती उम्र और बढ़ती ख्वाहिश

न तो कम होगी और न ही पूर्ण

ख्वाब और जिंदगी के दरम्यान


दिल-दिमाग पर जरूरी है लगाम

घटती उम्र और अधूरा ख्वाब

न कम हुआ है और न ही पूरा।


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