अभिलाषा
अभिलाषा
सरहद पर ही लेटा हूँ
मैं एक माँ का बेटा हूँ
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा
है प्रेम हृदय में मेरे
उसके भी ख्वाब हैं मेरे
मैं आऊंगा वापिस जरूर
ये है उसकी अभिलाषा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा।
हम दोनों के प्रेम के गुलाब खिले होंगे
जो मिल न सके मुझे खत शायद लिखे गिले होंगे
इश्वर से करूँगा गुहार मिटेगा ये कुहासा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा।
इन हवाओं से अब ये कह दिया है
बुझा न देना हृदय में जो जल रहा प्रेम का दिया है
मिलेंगे ख्वाबों में तुम्हें अब ये है मेरी आशा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा
मेरी भी हैं कुछ अभिलाषा।
