आधुनिक युग की नारी
आधुनिक युग की नारी
वो है गृह लक्ष्मी
लक्ष्मी का रूप
कभी बने दुर्गा
कभी वो ले शारदा का रूप
जहाँ हो पूजा नारी की
वही बस जायें सारे ईश्वर
जहाँ हो सम्मानित हर नारी
रौनक छा जाए उस घर ।
मुश्किल चाहे कितनी भी आयें
तूफ़ानों से वो हंसकर बतियाए
घर से लेकर दफ्तर तक
अपना परचम वो लहराए
सबकी खुशियों का रखती ख्याल
वो है कमाल वो है बेमिसाल ।
रंग भरती सबके जीवन में
अपनेेेपन की पिचकारी से
सबको लेती है सम्भाल
अपनी अनुपम कलाकारी से
कदम से कदम मिलाकर चलती
वो आधुनिक युग की नारी है
ना है वो अब असहाय ,अबला
समझती दुनियादारी है।
वो है नायिका अपने जीवन की
जान लेती भावनायें सबके मन की
देश -विदेश मे कर रहीं नाम रौशन
अब नारी भी है इस देश की धड़कन ।