बचपन की राखी
बचपन की राखी
भाई बहिन जब छोटे थे
यादें बचपन की संजोते थे
कभी लड़ते कभी झगड़ते
कभी संभालते कभी बिगड़ते
गुस्सा करती बहना थी
ना माना करती कहना थी
भाई भी खूब मानता था
नई नई तरकीबें अपनाता था
जब आता राखी का त्यौहार
बहना के होते नखरे हजार
पैसे दोगे सारे जब
राखी बांधूंगी मैं तब
भाई भी खूब था कलाकार
बहना का किया खूब मनुहार
सौदा नहीं ये पैसों
त्यौहार है ये हम जैसों का
