अब ये बोझा उतार दे
अब ये बोझा उतार दे
अब ये बोझा उतार दे
थोड़ा खुद को आराम दे
साथ जिनके तुम भी आधे से हो,
कुछ उनपे वार दे
जिन्हे तुमसे ही हैं उम्मीद,
थोड़ा उन्हें भी प्यार दे
कुछ ख्वाहिशें अपनी मार दे
कुछ ख़्वाब अधूरे अच्छे,
कुछ प्यार अधूरे अच्छे हैं
कुछ इंसान अधूरे अच्छे,
कुछ अरमान अधूरे अच्छे हैं
वक़्त जो हैं थोड़ा, जरा थाम ले
हर बात से ललचाया नहीं करते,
सब अपने पे आजमाया नहीं करते
कुछ सामान बाजार में अच्छे,
हर खिलौना घर लाया नहीं करते
कुछ खेल समझ कर हार ले
उनकी निगाहों में देख हैसियत अपनी ,
घबराया नहीं करते
हीरे का मोल जौहरी जाने,
हर दुकान पे दिखाया नहीं करते
कुछ इस अदा से ये शाम ले
मशहूर होने से अपना सा होने का
सुकून अच्छा हैं
मन ना चले साथ,
ऐसे रास्तों का न जुनून अच्छा हैं
ठहर कर थोड़ा ये जाम ले
जमाने ने न जाने कितने कबीर,
सुंदर थे जो फकीर , मिटा दिये
देखें ओस कि बूंद को कौन,
अपने में जिसने इन्द्रधनुष बना दिये
तू अब मंजिल का पैगाम दे।
थोड़ा खुद को आराम दे