अब वो मोती कहाँ
अब वो मोती कहाँ
जो बिन मांगे मिले अब वो मोती कहाँ
मांगे तो भी ना मिले अब वो होती यहाँ
जब तक नहीं है कोई उनका फायदा
वो फिर कहाँ सोचे सबका फायदा
मर जाये अन्नादाता उनके मुकाम पर
जो भी हो अंजाम सबके मकान पर
क्या मिल गया उनको सुकुन इस तरह
रो पडा है किसान का जुनुन इस तरह!!
