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chandraprabha kumar

Classics Thriller

4  

chandraprabha kumar

Classics Thriller

आया श्रावण मास

आया श्रावण मास

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आया महीना सावन

वर्षा हुई मनभावन,

बागों मे पड़ गये झूले

रिमझिम बूँदों में झूलें। 


 राधा को झूला झुलायेंगे

गजरे से वेणी को सजायेंगे,

चलो सखी बागों में महुआ के

फूल चुन लाएंगे गजरा बनायेंगे।


सावन में झूला झुलायेंगे

हाथों में मेंहदी रचायेंगे,

बारिश की पड़ी हैं फुहार

बागों में आई है बहार। 

 

चले सखि महुआ के फूल चुन लायेंगे

फूल चुन लायेंगे , गजरा बनायेंगे,

गजरे से राधा प्यारी को सजायेंगे

बागों में पड़ गए झूले झूला झुलायेंगे। 


झूला झुलायेंगे पेंगे बढ़ायेंगे 

आनन्द का उत्सव मनाएंगे,

बारिश रानी से मन हर्षाया

मन ने राग मल्हार गुनगुनाया। 


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