तू, सुन ले जरा....
तू, सुन ले जरा....
माना तुझे मोहबत नहीं है मुझसे
पर कभी नफरत नहीं करना,
तू, सुन ले जरा जहाँ है
इतनी सी बात मान लेना।
बीता हुए पल जो बीत गया
अब तो लौट के नहीं आना,
तू, सुन ले जरा ये सच
भले मुझे फिर भूल जाना।
गम के दरिया मे डूबा हुँ
भूल गया भी अब मुस्कुराना,
तू, सुन ले जरा एक बार
भले बाद मे भूल जाना।
भूला नहीं मैं वो सारी बाते
आसान नहीं कुछ भूल जाना,
तू, सुन ले जरा कैसे भी
हम तो हुए अब बेगाना।
नफरतें मे क्या रखा? सोचो जरा
क्या मिलेगा बनके उसका दीवाना,
तू, सुन ले जरा, मान लो
कुछ पल यहाँ है जीना।
जीना है यहाँ ये जिन्दगी को
मंज़ूर नहीं उसके कटौती करना,
तू, सुन ले जरा ये सच्चाई
कभी उसे बोझा नहीं समझना।
अभी भी वक़्त है, समझ ले
और तू जिद्द नहीं करना,
तू, सुन ले जरा मेरे बात
हमें कभी गैर नहीं मानना।
गैर समझ के जितने दूर जाओगे
मुश्किल होगा तुझे भूल जाना,
तू, सुन ले जरा गौर से
ये भूल कभी न करना।
ये भूल भी कितनी अजीब है
आसान नहीं होता उसे मानना,
तू, सुन ले जरा अब तो
जिन्दगी है, इसे खुलकर जीना।

