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Pranav Kumar

Tragedy Classics

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Pranav Kumar

Tragedy Classics

उम्र और ज़िंदगी

उम्र और ज़िंदगी

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तुम्हारी मोहब्बत मिली, लेकिन तू ना मिला

जीने को उम्र मिली, जिंदगी ना मिली,


थे कई सपने, थी चाह उनको पाने की भी,

तुम्हारे साथ सारे सपने भी गए, नींदे भी गईं,


कुछ दिनों का साथ रहा, फिर बस तुम्हारा ख्वाब रहा

मेरी रूह में तुम ही तुम हो, हकीकत में तेरी मौजुदगी ना मिली,


हम नदी के दो किनारों की तरह हैं जाना,

साथ चलते रहे आखिर तक, लेकिन आप में कभी ना मिले।


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