STORYMIRROR

Pratibha Jain

Classics

4  

Pratibha Jain

Classics

घायल

घायल

1 min
369

सर्द हवाओं का झोंका है

घायल दिल कर रहा है

अचानक दिल में उठे ख्याल

उथेड़ बुन कर घायल दिल कर रहा है


करवटें पलट-पलट कर

अकेलेपन का अहसास कर रहा है

अरमान बहुत है दिल में

सुबह का इंतजार कर है

भूली तो कुछ नहीं हूं


शिकायतें अब कर रही हूं

जी तो रही हूं

घायल दिल के साथ

बक-बक करना छूट गई आदत

मन किसी कोने में खो गया


मोहब्बत का महीना आया

मोहब्बत भूल अप्रैल फूल बनाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics