सुबह
सुबह
न ऑफिस की जल्दी हो,
न नाश्ते की टेंशन हो,
मैं और तुम ढेर सारी बातें,
एक सुबह ऐसी हो।
ठंडी ठंडी हवा हो,
ओश से गीली सड़क हो,
हाथों में लेकर हाथ,
एक सुबह ऐसी हो।
सारे ख़्वाब साझा हो,
नज़र ही नजर में इशारे हो,
खुले आसामान के नीचे,
एक सुबह ऐसी हो।
प्रतिभा जैन
उज्जैन मध्य प्रदेश

