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Pratibha Jain

Romance

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Pratibha Jain

Romance

होली हम भी खेलते

होली हम भी खेलते

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आज होली हम भी खेल लेते,

राधा जैसी दोस्त होती तो,

बिन कहे दिल का हाल तो जानती,

थोड़ा ही सही रूठने का बहाना तो करती,

मनाने को हम चाँद से मुखड़े पर

हरि-लाल गुलाल लगा देते

थोड़ा ही सही दिल तो जलाती

हम कन्हैया बन गोपियाँ ले आते,

नज़रों से गुस्सा तो करती वो

हम मनाने को बर्तन तो आते।



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