ए मेरे देशवासियों
ए मेरे देशवासियों
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ए मेरे देशवासियों,
तुम मुहब्बत का आलम पहचान लो।
प्यार से रिश्ता जोड़ लो,
तुम प्यार की भाषा को जान लो।।
नफरत की चिंगारी ने दिल में ,
रूप शोलों का धारण कर लिया।
अग्न में घृत डाला जो हमने,
उसमें अपना ही घर जल गया।।
ए मेरे भारतवासियों तुम मेरी,
बस इतनी सी विनती मान लो।
एकता एवम अखंडता अक्षुण्य रखने को,
संकल्प हृदय में ठान लो।।
ए मेरे देशवासियों,
तुम मुहब्बत का आलम पहचान लो,
प्यार से रिश्ता जोड़ लो,
तुम प्यार की भाषा को जान लो।।
मिटा कर भेद, घृणा इस मन से ,
बेतुके रिवाज़ों को बदल दो।
साम्प्रदायिकता की ज़हरीली कलियों को,
खिलने से पहले ही म
सल दो।।
दहेज़ , रिश्वत, भ्रष्टाचार के आगे,
तुम सीना अपना तान दो।
मिलजुल कर आगे बढ़ने को,
इक दूजे का दामन थाम लो।।
ए मेरे देशवासियों,
तुम मुहब्बत का आलम पहचान लो,
प्यार से रिश्ता जोड़ लो,
तुम प्यार की भाषा को जान लो।।
हिन्दू मुस्लिम का भेद मिटा
दीवारें नफऱत की तोड़ दो।
अड़ जाओ तुम बन चट्टान,
तूफानों का रास्ता मोड़ दो।।
इस माटी का कर्ज है हम पर
खुद की ताकत पहचान लो।
प्रगति के पथ पर रहे ये ' भारत '
ये बात पते की जान लो।।
ए मेरे देशवासियों ,
तुम मुहब्बत का आलम पहचान लो,
प्यार से रिश्ता जोड़ लो,
तुम प्यार की भाषा को जान लो।।