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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract Romance Classics

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract Romance Classics

तुम लगते हो

तुम लगते हो

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तुम आये गए से लगते हो।

तुम नए नए से लगते हो।।


कबसे खड़े हैं राह में तेरी

तुम गए गए से लगते हो।।


शब्दों में नहीं कह पाते हम।

तुम कहे कहे से लगते हो।।


प्यार का तूफान है तेरे अंदर।

तुम बहे बहे से लगते हो।।


रोकते नहीं कभी तुम्हें हम।

तुम रहे रहे से लगते हो।।


रुक जाते हैं तुम्हें देख कर 

तुम नए नए से लगते हो।।


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