भूल न जाए ये पन्ने
भूल न जाए ये पन्ने
कल ही तो तुझे लिखा इन पन्नो पर
आज फिर तू क्यों याद आया है
दिल को क्या दु जवाब
की क्यों तू फिर से मुस्कान लाया है।
मैं शायरा तो नहीं
फिर क्यों मेरा दिल तुझे चाहता है
की आंख बंद करू तो तुझे ही सोचता है।
बरसात आएगी जेब फिरसे
तो दिल भीगना चहेगा
ये हवाएं जब बदले तेरी बाहों में
तब ही तो सुकून आयेगा।
आज ही तो तुझे लिखा इन पन्नो पर
फिर कल तू क्यों याद आएगा।
आज न ये तेरा हाट पकड़ पाया तो क्या
ये इंतजार करना चाहता है
तेरे समंदर में डूबना न सही
पर तेरी लहरों में खेलना चाहता है।
की आती रहे याद तेरी इसी
कहीं भूल न जाए ये तन
याद दिलता रहता है
कुछ देर उछलता है ये मान
और शांत हो जाता है।
रोज़ ही तो तुझे लिखती हूँ तुझे में पन्नों पर
फिर क्यूँ तू रोज़ याद आता है।

