ये बातें तुम्हे ही बताउंगी
ये बातें तुम्हे ही बताउंगी
ये लिख रही हूँ किसके लिए
जब पता मुझे चलेगा
तो तुम्हे भी बताउंगी
जब कोई चिड़िया बैठकर मेरी खिड़की पर
गुनगुनाएगी नाम तुम्हारा
तुम्हे भी बताउंगी
कल सुबह सात बजे
पड़ेगी जब मेरे चेहरे पर रौशनी
और उड़द जाएगी वो चिड़िया
अपने बच्चों के पास
तुम्हे भी बताउंगी
अपने घोसले में बच्चों को
वह कैसे देती है उन्हें कुछ खाने के लिए
तुम्हे भी बताउंगी
कल जब बैठूंगी मैं उस बालकनी में
अपने काम ख़तम करने के बाद
और बाते करुँगी इन पत्तों के साथ
तुम्हे भी बताउंगी
कल जब रोटी की भूख नहीं होगी
और याद सिर्फ तुम्हारी आएगी
पेट भर लूंगी अपना उन बातों से
जो की हमने इन मुलाक़ातों में
तो तुम्हे भी बताउंगी
जब दुबारा आएगी बारिश
और मुझ पर बरसता पानी
याद करेगा तुम्हे
और मुझे भीगकर जब छींक आएगी
तो तुम्हे भी बताउंगी
कोशिश कैसे करती हूँ हर बार
तुम्हे न भुलाने की
हर रात कैसे तुम्हे अपने हर सपने में
जब याद करुँगी
तो तुम्हे भी बताउंगी
जब कुछ दूर जब चल कर
मेरे हाथ
तुम्हारे हाटों का इंतज़ार करेंगे
और वह मोड़ आएगा
तो तुम्हे भी बताउंगी
कहने को इतना कुछ बाकी है
लेकिन कुछ कह कर भी नहीं कह पाती
और जब ये बात कहूँगी
तो तुम्हे ही बताउंगी
जब मेरा अधूरापन
बदलेगा तुम्हारी बाहों में
और भीग जाएगी ये आँखें
अपनी माँ से जब तुम्हारी बातें करुँगी
तो तुम्हे भी बताउंगी
मेरे कांपते होटों पर आएगी जब तुम्हारी ऊँगली
और खिल उठेगा मेरा ये चेहरा
तो तुम्हे भी बताउंगी
बास तुम्हे ही बताउंगी।