आवाज़ उठाना है.....
आवाज़ उठाना है.....
फितूर है मेरा अब आवाज़ उठाना है
हर जिजीविषा को उसके अंजाम तक पहुँचाना है .....
कोई कमज़ोर क्रांति नहीं हूँ मैं
जो लाठी से डर जाऊँगा
आग हूँ, सूरज हूँ
आज डूबूँगा कल फिर निकालूँगा
बस फितूर हे मेरा अब आवाज़ उठाना है .....
सही को गलत के तराज़ू तरफ नहीं झुकाना
सच को झूठ की आँच से नहीं पकाना
सैलाब हूँ मैं हर उस शर्मसार तूफ़ान का
जिसे रौंदा गया समाज के दायरों में
नारा हूँ मैं हर उस युग का
जिसे कुचला गया जूठे उसूलों के अंधेरों में
बेबाक हूँ मैं, स्वाधीन हूँ में,
पहरेदार हूँ में अपनी उड़ानों का
गुरूर हूँ मैं अपनी हैसियतों का
हक़ीक़त हूँ मैं अपनी आजमाइशों का
इनायत से नवाज़ना हे अब हर हसरतों को
बस फ़ितूर हे मेरा अब आवाज़ उठाना है ........