चलो एक बार फ़िर से मिलते है
चलो एक बार फ़िर से मिलते है
चलो एकबार फिर से मिलते हैं
व्हाट्सएप्प के मेसेज पे नही
फेसबुक और इंस्टाग्राम की कमेंट में नही
आमनेसामने
चाय के दो घूंट पीने
अपनी पुरानी टपरी पे
चलो एक बार फिर से मिलते हैं......
कभी डिनर पे
कभी बिना बहाने यूं ही घूमने के लिए
बिना इतवार की राह देखे
छोटी छोटी बातो की ख़ुशी मनाने
चलो एकबार फिर से मिलते हैं.....
ज़िन्दगी चार दिन की
तो कही कोई खाली कोना हो
कारपेट हो
चार यार और महफिल सजाने
हर दिन को यादगार बनाने
चलो एकबार फिर से मिलते हैं.......
ज़िन्दगी यूं ही बीत जायेगी ए दोस्त
आ अंताक्षरी खेल ले
थोड़ा हँसबोल ले
थोडी हिस्सेदारी ग़म में भी कर ले
बिना वज़ह
बिना एकदूसरे से कुछ चाहे
कभी नदी किनारे
कभी खुले मैदान मे
कभी किसी बागीचे की बेन्च पे
कभी मेरे घर की दहलीज़ पे
ए दोस्त
चलो एकबार फिर से मिलते हैं........