आवारा दिल
आवारा दिल
मेरे बहुत कहने पर वो बात तो करता था
पर उसके बात करने में वो बात ही नहीं
उसके कहने पर मैं इंतजार तो करतीं थीं
पर एक वो था जो कभी आया ही नहीं
उसके साथ ना रहने की बहुत वजह है
पर मैं साथ रहने के बहाने ढूंढ रहीं थी
वो आस पास कभी नहीं दिखता पर
मैं तो हमेशा उसके पास रह रही थीं
उसकी हर गलतीयों की गिनती नहीं
मैंने ही शायद उसे मंजूरी दे रखी थी
गुनाहों पर अक्सर पर्दा डाल देती
और उसने रिश्तों में दूरी दे रखी थी
वह गंभीर नहीं था मुझे लेकर पर
मेरी तो यादों में भी उसी का नाम था
वह सुबह होते ही गुम हो जाता पर
इंतजार में डूबा मेरा हर शाम था
लोग तो हमेशा कहते हैं छोड़ दो उसे
वो आवारा तुम्हें कभी नहीं चाहेगा पर
मेरा ये दिल भी एक आवारा ही है
आखिर दिल उसके बिना कैसे मानेगा

