आवाज ना दो
आवाज ना दो
प्रिय छोड़ जाना मेरे हिस्से की धूप
जिसमें देख सकूं तेरा वही रूप।
पता नहीं किसका साया साथ होगा
मगर तेरी यादों का तोहफा पास होगा।
एकदम भा गया चुपके चुपके आना तेरा
गुजरते कदमों के संग गया सुकून मेरा।
चाहत की बेखुदी में विभोर
हर पल नाचे मेरा मन मोर।
आवाज ना देना लौटते राह को
बहाना मिल जाएगा मेरी चाह को।
नन्हे दामन में लेना तू समेट
केहरी का यह अंतिम भेंट।