आटा
आटा
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गांव देखो लग रहा उजड़ा हुआ
शायद लगता है यहाँ झगड़ा हुआ
सोचता हूँ मैं कैसे लूँ पैसे नहीं
ख़त्म घर में आज तो आटा हुआ
हंसता था जो दूसरों को प्यार से
कल देखा ख़ामोश वो बैठा हुआ
चटनी रोटी से देख गुजरा होगा
दाल चावल कब यार सस्ता हुआ
दाल सब्जी अब बनेगी ये कैसे
तेल सरसों का देखो महंगा हुआ
इसलिए बैठा नहीं घर मेरे वो
मेरे घर का था छप्पर टूटा हुआ
भूल गये अपने अपनों के प्यार को
आज़म रिश्ते से बड़ा पैसा हुआ
आज़म नैय्यर